जल: जीवन का अमृत दीर्घा :
लिखित प्रमाण, जन्साखिंकी अद्धयन और जलवायु तथ्यो के अनुसार प्रमाणित होता है। कि स्वछ जल अति संवदेनशील संसाधन है। और इस पर जलवायु परिवर्तन का भी प्रभाव हो रहा हैं। तथा साथ ही विभिन्न प्रकार के परिणाम समाज और पारितंत्र पर भी प्रभाव डाल रहे हैं। भारत के उत्तम अनुसंधान संस्थान भी जल महत्व को बताते हैं तथा ठीक इसी समय लोगो और विध्यार्थियों के लिए जल शिक्षा महतव्पूर्ण हो गयी है। इसलिए राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र एवं दिल्ली जल बोर्ड ने साथ मिलकर एक जल-शिक्षा दीर्घा बनाई है। इस दीर्घा मे 34 प्रदर्श है। ये प्रदर्श वर्णन देते हैं कि हमारी प्रथ्वी पर कितना जल उपस्थित है और जीव जन्तुओ के लिए कितना प्रयाप्त है। कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के विभिन्न अंगों मे जल की मात्रा को जान सकता है। कोई भी भारतीय व्यक्ति अपने प्रतिदिन उपयोग मे आने वाले जल की तुलना किसी आम भारतीय व्यक्ति के लिए स्थापित मानक के साथ कर सकता है। इस दीर्घा मे जल के विभिन्न गुण जैसे की अम्मलता और दूसरे रसायनो से क्रिया करना आदि का भी वर्णन किया गया है। यह दीर्घा वास्तविक रूप से यह भी दर्शाती हैं की दिल्ली वासियो के घरो में, जल को उसके कच्चे साधनो से शुद्ध कर किस प्रकार नल तक लाया जाता हैं। ये दीर्घा वास्तविक रूप से उन संवदेनशील लोगो के लिए बनाई गयी हैं जो पानी का दूरूपयोग करते हैं और यह लोग अधिकतर दिल्लीवासी हैं। साथ ही अलग – अलग प्रदर्श जल प्रबंधन के बारे मे जानकारी देते हैं कि नालियो से निकलने वाले गंदे पानी का संचालन दिल्ली जल बोर्ड द्वारा किस प्रकार किया जा रहा है। इस दीर्घा मे पानी बचाने के विभिन्न विकसित उपकरण भी दर्शाये गए हैं।
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